Hanuman Ji Ki 5 Anjani Kahaniyan : Discover the Lesser-Known Legends of Lord Hanuman

         Hanuman Ji Ki 5 Anjani Kahaniyan





भगवान हनुमान की 5 अनसुनी कहानियाँ



सब शुक्ला है तुम्हारी सारण तुम रक्षक कहु को डरना 



संकट मोचन महाबली हनुमान जिनका नाम मंत्र लेने से भी सभी कष्ट दूर हो जाते हैं वह श्री राम के सबसे बड़े भक्ति है और समय के 




अंत तक इस धरती पर धर्म के रक्षक भी हनुमान को भगवान शिवा का अंश कहा जाता है अगर हम आपसे ये कहे की एक बार हनुमान जी और शिवा जी के बीच एक बहुत भीषण युद्ध 

हुआ था और हनुमान जी जन्म से भी पहले श्री राम जी से जुड़े हुए थे तो आपको कैसा लगेगा हनुमान जी से जुड़ी कई ऐसी कहानी है जिनके बड़े में शायद ज्यादा लोग नहीं जानते हनुमान 

जी वानर्राज केसरी और देवी अंजना के पुत्र थे यह बात कौन नहीं जानता पर क्या आप जानते हैं की देवी अंजना पहले एक अप्सरा थी जिनका नाम था पुंजिक साला लेकिन एक बार


ये भी पढ़ें- Shiv Chalisa in Hindi 


ऋषि दुर्वासा जब इंद्रदेव की सभा में उनसे कुछ बात कर रहे थे तो पुंजिक सलाह कई बार उनके सामने से गुजरी जिससे उनका ध्यान भटक रहा था दुर्वासा ऋषि ने क्रोध में आकर 

पुंजिक सलाह को शराब दे दिया की उनका जन्म धरती पर होगा और वो भी वानर रूप में इसके बाद ही पुंजिक सलाह का जन्म देवी अंजना के रूप में हुआ और वानर राज केसरी से 


उनका विवाह हुआ धरती पर उन्होंने कड़ी तपस्या की और व्यू देव के आशीर्वाद से हनुमान जी को जन्म दिया हनुमान जी के जन्म से जुड़ी एक और ऐसी कहानी है जिसे ज्यादा लोग नहीं 

जानते हनुमान जी अपने जन्म से भी पहले श्री राम से जुड़े हुए थे आनंद रामायण के सर कांड के अनुसार जब राजा दशरथ ने पुत्र की प्रताप के लिए यज्ञ किया था तब अग्नि देव ने प्रकट 


होकर उन्हें प्रसाद में खीर दी थी लेकिन माता कई कई को जो खीर का हिस्सा मिला था उसे एक चल छन कर ले गई थी जब वह चल अंजनी पर्वत के ऊपर से जा रही थी तो उससे वो खीर 

गिर गई और देवी अंजना को मिल गई उन्होंने उसे खीर को का लिया और उसके बाद हनुमान जी का जन्म हुआ जहां एक तरफ आशीर्वाद में मिली खीर से श्री राम लक्ष्मण भारत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ वही दूसरी तरफ महाबलशाली हनुमान जी इस धरती पर आए हनुमान जी के 


निकॉन नाम है पर बचपन से लेकर आज तक हमने जितनी भी कहानी सनी और अच्छी हर जगह बजरंगबली को हनुमान जी कहा जाता है लेकिन यह नाम उन्हें जन्म से नहीं मिला था अनु यानी ठुड्डी या जबड़ा वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड के अनुसार बचपन में जब हनुमान 

जी ने धरती से सूरज को देखा तो उन्हें लगा की वो एक पाक हुआ फल है उन्हें उसे फल को खाने का मां करने लगा और उन्होंने सूरज को खाने के लिए उसकी दिशा में उड़ान भर दी जब 


इंद्रदेव ने हनुमान जी को स्वर्ग की और बढ़ते देखा तो वो बहुत क्रोधित हो गए जब हनुमान जी ने अपनी ज़िद नहीं छोड़ी तो इंद्रदेव ने उन पर अपने वज्र से प्रहार कर दिया उसका असर इतना तेज था की हनुमान जी बेहोश हो गए और धरती की और गिरने लगे जब पवन देव ने 


अपने पुत्र को इस भारत में आसमान से गिरते हुए देखा तो उन्हें लेकर वो पाताल लोक चले गए पवन देव बहुत क्रोधी थे दुखी थे उन्होंने पूरे ब्रह्मांड की हवा को रॉक दिया सभी जीवो का दम 

घुटने लगा और धरती पर हाहाकार मैच गया तब जीवन को बचाने के लिए और धरती पर हवा को वापस लाने के लिए सभी देवी देवताओं ने पाताल लोक जाकर हनुमान जी को देर


 

ये भी पढ़ें- ॐ जय शिव ओमकारा आरती In Hindi | Om Jai Shiv Omkara Aarti



आशीर्वाद दिया वज्र के प्रहार से पवन पुत्र के जबड़े की हड्डी टूट गई थी इसी करण उन्हें हनुमान नाम मिला ब्रह्मदेव ने उन्हें ब्रह्मांड के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया और विष्णु जी ने 

उन्हें आजीवन सबसे बड़ा भक्ति होने का वरदान दिया सिर्फ यही नहीं इंद्रदेव ने उन्हें यह भी वरदान दिया की अब से उन्हें कोई अस्त्र या शास्त्र चोट नहीं पहुंच पाएगा पुराने के हिसाब से 

ऐसा माना जाता है की हनुमानजी शिवाजी के अवतार है लेकिन अगर हम आपसे यह कहे की एक बार हनुमान जी और शिवा जी के बीच भयंकर युद्ध हुआ था तो पदम पुराण के पाताल कांड के अनुसार श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया यज्ञ के दौरान अश्व को छोड़ दिया 






गया जो दौड़ते दौड़ते राजा वीर मनी के नगर जा पहुंच लेकिन वहां उसे पकड़ लिया गया अगर यज्ञ के घोड़े को कोई रॉक ले तो उससे युद्ध करने का नियम था राजा शत्रुघ्न ने उसे घोड़े को 


छुड़ाने के लिए युद्ध की घोषणा करें वही दूसरी तरफ वीरमणि भगवान शिवा के बहुत बड़े भक्ति थे और इसलिए उन्होंने इस युद्ध को जितने के लिए शिवा जी से मदद मांगिए शिवा जी 

उनकी मदद करने के लिए तैयार हो गए लेकिन सिर्फ तब तक जब तक श्री राम खुद युद्ध करने ना ए जाए क्योंकि शिवा जी भगवान राम के सामने शास्त्र नहीं उठाएंगे शिवा जी ने वीरभद्र का रूप ले लिया और युद्ध भूमि में ए गए एक घमासान युद्ध हुआ जिसमें भारत जी के बेटे पुश की 


मृत्यु हो गई और शत्रुघ्नजी बेहोश हो तब श्री राम की सी को हार्ट हुए देख हनुमान जी स्वयं युद्ध भूमि में आए उन्होंने एक बड़े से पत्थर से शिवाजी के रथ के टुकड़े कर दिए और फिर पत्थर से 

शिवाजी के साइन पर वार किया इस वार के जवाब में शिवाजी ने अपने त्रिशूल को तेजी से हनुमान जी पर चलाया हनुमान जी ने त्रिशूल को अपने हाथों में लेकर उसके भी टुकड़े टुकड़े कर दिए इसके बाद शिवा जी ने हनुमान जी पर शक्ति से प्रहार किया यह शक्ति हनुमान जी 


के साइन में जाकर लगी और उनका संतुलन बिगड़ गया क्रोध में आकर उन्होंने पलट कर एक बड़े से पेड़ से शिवाजी पर वार किया शिवा जी के गले में बंदे सर डर कर पाताल लोक में चले 


गए शिवा जी ने हनुमान जी को चेतावनी दी की अब वे उनका फुहार करते रहेंगे और फिर शिवाजी ने हनुमान जी पर एक लोहे के मौसम से वार किया हनुमान जी ने तो विष्णु जी का 


ध्यान किया और तेजी से उसे मोजल के वार को ताल दिया हनुमान जी बहुत क्रोध में थे उन्होंने शिवाजी पर पेड़ों और पत्थरों की वर्षा शुरू कर दी यह युद्ध एक लंबे समय तक चला रहा और अंत में हनुमान जी की विजय हुई आज भी संसार में जब-जब राम कथा सुने जाति है ऐसा माना 


जाता है की किसी ना किसी रूप में हनुमान जी वहां उपस्थित होते हैं पुरी दुनिया में हनुमान जी के एक ऐसे रूप की पूजा होती है जिसमें उनका पूरा शरीर सिंदूर से ढाका होता है हनुमान


 


ये भी पढ़ें- Sankatmochan Hanuman Ashtak : मंगलवार को सुबह-शाम करें हनुमान अष्टक हर तकलीफ होगी दूर



चालीसा के हिसाब से हनुमान जी का कंचन वर्ण है यानी उनका रूप सोनी से बना हुआ है तो फिर उन्हें इस रूप में क्यों पूजा जाता है ऐसा माना जाता है की वनवास खत्म होने के बाद एक 


दिन हनुमान जी ने सीता जी को अपनी मांग में सिंदूर भारते हुए देखा जब हनुमान जी ने माता सीता से इसका करण पूछा तो उन्होंने बताया की वे ये सिंदूर राम जी की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए लगती है हनुमान जी गहरी सोच में पद गए तभी उन्हें एक ख्याल आया और वे चुपचाप वहां से चलेगी कुछ डर बाद जब वे राम जी के दरबार में लौटे तो उनका पूरा शरीर 


सिंदूर से रंग हुआ था ये देख कर श्री राम हैरान हो गए जब उन्होंने हनुमान जी से इस बात का करण पूछा तो उन्होंने अपना सर झुका कर प्रभु से कहा जब माता सीता के एक चुटकी सिंदूर 


लगाने से श्री राम की उम्र लंबी हो शक्ति है तो पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लेने से श्री राम को कितना लाभ होगा हनुमान जी की ऐसी भक्ति देखकर श्री राम का मां प्रश्न हो गया उन्होंने हनुमान जी को वरदान दिया की जो लोग उनके सिंदूर वाले रूप की पूजा करेंगे उसे पर श्री राम जी का आशीर्वाद हमेशा बना रहे थे हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान मिला था 


इस युग में भी हमें कई ऐसे प्रमाण मिले हैं जो बताते हैं की हनुमान जी आज भी हमारे बीच है लेकिन हनुमान जी का संबंध सिर्फ त्रेता युग की रामायण या कलयुग से नहीं है बल्कि द्वापर 

युग की महाभारत से भी है महाभारत के युद्ध में हनुमान जी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी महाभारत की कहानी के हिसाब से हनुमान जी ने अर्जुन को यह वरदान दिया था की वे कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन की सहायता करेंगे इसीलिए



भगवान हनुमान की 5 अनसुनी कहानियाँ  सब शुक्ला है तुम्हारी सारण तुम रक्षक कहु को डरना


जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो हनुमान जी अर्जुन के रथ पर लगे झंडा पर विराजमान हो गए और युद्ध के अंत तक उन्होंने अर्जुन का साथ दिया युद्ध खत्म होने के बाद जैसे ही अर्जुन 


अपने रक्त से उतारे श्री कृष्णा ने हनुमान जी का आभार प्रकट किया हनुमान जी ने श्री कृष्णा को प्रणाम कर वहां से प्रस्थान किया जैसे ही हनुमान जी वहां से गए अर्जुन का रथ जलकर रख 


हो गया यह देखकर अर्जुन चकित र गए तब श्री कृष्णा ने उन्हें समझाया की पूरे युद्ध में हनुमान जी उनकी और उनके रथ की रक्षा कर रहे थे जिसके बिना पांडवों का इस युद्ध में जितना संभव नहीं था

आज हमारे बीच रामायण के कई वर्जन एक्जिस्ट करते हैं हर दिशा में रामायण की अलग-अलग कहानी प्रचलित है जिम से सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा फेमस है वाल्मीकि रामायण 


जो ऋषि वाल्मीकि ने लिखी थी लेकिन वाल्मीकि रामायण सबसे पहले रामायण नहीं थी बल्कि उनसे भी पहले हनुमान जी ने रामायण का अपना वर्जन लिखा था जो की हनुमत रामायण के 

नाम से जानी जाति है कुछ कहानियां के हिसाब से जब ऋषि वाल्मीकि रामायण की कथा पुरी करने के बाद हनुमान जी के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा की हनुमान जी ने हिमालय के पहाड़ों 

पर अपने नाखूनों से रामायण का अपना वर्जन लिखा हुआ है यह देखकर ऋषि वाल्मीकि दुखी हो गए क्योंकि वे जानते थे की अगर हनुमान जी की रामायण दुनिया के सामने ए गई तो 

उनकी रामायण का अस्तित्व कम हो जाएगा जब हनुमान जी को ऋषि मनी के दुख का करण पता चला तो उन्होंने बिना एक पाल सोच अपनी लिखी हुई रामायण को नष्ट कर दिया और रामायण 

का यह वर्जन हमेशा के लिए गायब हो गया तो यह थी हनुमान जी से जुड़ी कुछ ऐसी कहानी है जिनके बड़े में शायद ज्यादा लोग नहीं जानते अगर आप हनुमान जी या रामायण से जुड़ी और ऐसी कहानियां में इंटरेस्टेड है तो अगर आपके पास भी ऐसी कुछ कहानी है तो हमें कमेंट क्षेत्र में जरूर बताएं.


ये भी पढ़ें- भगवान श्री कालभैरव की आरती -Om Jai Bhairav Deva | Bhagwan Shree Kaal Bhairav Ki Aarti

ये भी पढ़ें-हनुमान चालीसा से क्या लाभ होता है :हनुमान चालीसा कितनी बार पढ़नी चाहिए



Post a Comment

Previous Post Next Post