महामृत्युंजय मंत्र लिरिक्स In Hindi : Mahamrityunjay Mantra In Hindi
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
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Mahamrityunjay Mantra - महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ व लाभ यजुर्वेद के अनुसार
महामृत्युंजय मंत्र इस नाम से तो आप सभी लोग भलीभांति परिचित होंगे यदि कोई संगठनों से घिरा हो या बीमार हो तो यह मंत्र जप करने की सलाह अवश्य परंतु ऐसा क्यों हम इस मंत्र का अर्थ समझ ते हे ,
महामृत्युंजय मंत्र यह कुछ इस प्रकार
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्
यह आपने कभी ना कभी बोला अवश्य होगा किंतु क्या आप जानते हैं किसी भी मंत्र को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकते हैं जब हम इसे इसी भावना के साथ जिसके लिए वह
बना तो आइए जानते हैं इस मंत्र का अर्थ तो महामृत्युंजय मंत्र का जो अर्थ मैं समझता हूं वह कुछ इस प्रकार त्रंबकम पध तीनों कालों में एक जैसा रहने वाला पार्ट प्रेजेंट एंड फ्यूचर और एक चीज
तो यह को अनेक नामों से बुलाया गया कि पहले वाली पंक्तियां तथा पंक्तियों में के दो और रूद्र रूद्र का अर्थ को रुलाने वाला और शब्द का अर्थ देने वाला शब्द का अर्थ तो
आप समझ पाएंगे कि यह इंडिकेट करता स्तुति करना निरंतर उस ईश्वर की स्तुति करना जो कि पंडित तथा हम भोग सुगंधित व शुद्ध करता है कि पुष्टिवर्धनम पुष्टिवर्धनम का जो
हमारे आत्मा बुद्धि वह बल को बढ़ाता है वह है पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव इसका अर्थ है जिस तरह से खरबूजा अपनी पूर्ण आयु के बाद पकड़ ही लता से अलग होता है बेल से
अलग होता है और फिर वहां अमृत तुल्य मीठा हो
जाता है और वहां रुक में बंधनात् अर्थात खरबूजा जब पक कर अपनी लता से अलग होकर पूर्ण रूप से मीठा अमृत तुल्य हो जाता है मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् 18 मुझे भी आप
पूर्ण आहूति देकर मृत्यु से इस शरीर से अलग कीजिए और मोक्ष को प्राप्त करवाइए अर्थात मैं अपनी पूर्ण आयु जी पांव और फिर मोक्ष की प्राप्ति करूं अर्थात मोक्ष के
आनंद से वंचित ना रहे हैं हुआ था ध्यान देने वाली बात यह है कि भले ही ईश्वर को अलग-अलग नामों से बुलाया गया हो किंतु ईश्वर एक ही है और हमें उसे ईश्वर में पूर्ण
विश्वास रखना चाहिए क्योंकि वही है जो हम सभी तरह के रोग व
शत्रु,
शत्रु का अर्थ केवल यही नहीं तलवार या बंदूक हमारे सामने हमारे शरीर में कोई रोग ना तो इसलिए हम प्रार्थना करते हैं ताकि वह शत्रुओं से दूर रखें और हमारे शरीर व
आत्मा को निरंतर बड़ा सा और जिस प्रकार खरबूजे अपनी पूर्ण आयु प्राप्त करके ही पड़ता है वह मृत्यु हो जाता उसी प्रकार हम लोग भी अल्पायु को बल्कि पूना यूज करें
और फिर अपने सूखे और अच्छे कर्मों को भोग उन कर्मों के फलों की प्राप्ति के रूप में मोक्ष को प्राप्त करें है तो देखेंगे आप यह एक छोटा सा मंत्र और इतना लंबा अर्थ
इसलिए मैं तो कहूंगी कि आपको यह मंत्र अर्थ जानकर उसको पूर्ण
भावना के साथ खेलना चाहिए तभी आपको इसके सच्चे प्राप्त होंगे कि आप सभी लोगों को मोक्ष की प्राप्ति हो किंतु यह केवल धैर्य और पूरे भारत में हर जगह यही सलाह दी
गई कि अपने कर्मों को आप किस तरह से अच्छा कर सकते हैं मनुष्य किस तरह बनाया जा सकता है तो यह पढ़ने के बाद मेरा तो यही मानना है कि मंत्रोच्चारण के
साथ यज्ञ करता है कि आपके कर्म क्योंकि अच्छे कर्मों के फल स्वरूप को प्राप्त कर सकते हैं|.
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