The Hidden Meaning of Shivling
( शिवलिंग का छिपा हुआ अर्थ )
भगवान शिव साक्षात अनंत निराकार और निर्गुण आदियोगी है संपूर्ण ब्रह्मांड में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जो भगवान शिव को ना जानता हो लेकिन भगवान शिव के सत्य स्वरूप को जानना
सबके बस की बात नहीं है हम शिवलिंग की पूजा तो करते हैं लेकिन हम में से ज्यादातर यह नहीं जानते हैं कि शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है शिवलिंगशिवलिंग क्यों पूजनीय है शिवलिंग का आकार
ऐसा ही क्यों है शिवलिंग का शाब्दिक अर्थ क्या है और शिवलिंग से हमें क्या बोध मिलता है आज की इस खास प्रस्तुति में हम इन सभी रहस्य से पर्दा उठाने वाले हैं तो इस प्रस्तुति को अंत तक जरूर देखिएगा बहुत से लोगों ने
शिवलिंग का गलत अर्थ बढ़ाकर लोगों को भ्रमित कर रखा है लेकिन सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात तो यह है कि इस षड्यंत्र में कुछ विदेशी लोगों के साथ-साथ हमारे देश के लोग भी शामिल हैं इन
लोगों ने शिवलिंग का बहुत ही गंदा मतलब निकाला रखा है लेकिन सच्चाई ज्यादा देर छिपी नहीं रह सकती है आज के बाद आपको शिवलिंग का वास्तविक अर्थ और रहस्य पता चल जाएगा और
साथ में यह भी बताएंगे कि शिवलिंग भारत चीन और पूरे यूनिवर्स में क्यों पूजनीय है तो अंत तक बने रहिए सबसे पहले हम शिवलिंग का शाब्दिक अर्थ क्या है वह समझते हैं शिवलिंग में शिव का अर्थ होता है परम
शुद्ध चेतना परमेश्वर या परम तत्व और लिंग का अर्थ होता है निशान चिन्ह और प्रति शिवलिंग का अर्थ है भगवान शिव परमात्माभगवान शिव परमात्मा का चिन्ह या प्रति शिवलिंग एक ऊर्जा का स्वरूप है जिसमें एक या
एक से ज्यादा चक्र मौजूद होते हैं ज्यादातर ज्योतिर्लिंग में एक या दो चक्र प्रतिष्ठित है ध्यान लिंग में सभी सातों चक्र परम तक प्रतिष्ठित हैं लिंग शब्द का मतलब है आकार हम इसे आकार इसलिए
कह रहे हैं क्योंकि जो अप्रकृतिक या दूसरे शब्दों में कहें तो जब सृष्टि की उत्पत्ति शुरू हुई तो जो सबसे पहला आकार इसने लिया था वह एक दीर्घ वृताकार था एक पूर्ण दीर्घ वृत्त या एलिप्स को हम एक
लिंग कहते हैं सृष्टि की शुरुआत हमेशा एक दीर्घ वृत्त या एक लिंग के रूप में हुई और उसके बाद यह कई रूपों में प्रकट हुई और हम अपने अनुभव से यह जानते हैं कि जब आप ध्यान की गहरी अवस्था में जाते हैं तो पूर्ण विलीन होने वाला बिंदु आने से पहले ऊर्जा एक बार फिर एक दीर्घ वृत या एक लिंग का रूप ले लेती है संस्कृत भाषा में लिंग का अर्थ प्रतीक होता है और इसलिए
शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक इसलिए शिवलिंग को भगवान शिव के पवित्र प्रतीक के रूप में पूजा जाता है ब्रह्मांड में सिर्फ दो चीजें सत्य रूप से मौजूद हैं एक है ऊर्जा
और दूसरा है पदार्थ हमारा शरीर मिट्टी से मिलकर बना है जो कि एक दिन इसी मिट्टी में मिल जाएगा इसलिए इसे पदार्थ कहा जाता है लेकिन शरीर के अंदर की आत्मा अमर होती है वह
शक्तिशाली है इसलिए उसे ऊर्जा कहा गया है इसलिए शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का रूप धारण करके शिवलिंग का आकार ग्रहण करते हैं आपको बता दें कि शिवलिंग की पूजा 2300 ईसा पूर्व
से होती आ रही है जिसके प्रमाण सिंधु घाटी की सभ्यता की खुदाई के दौरान सामने आए थे आपको जानकर हैरत होगी कि शिवलिंग की पूजा केवल भारत में ही नहीं होती थी बल्कि प्राचीन रोमन सभ्यता के लोग
भी शिवलिंग को पूजते थे बेबीलोन में खुदाई के दौरान भी शिवलिंग मिले थे जो इस बात की पुष्टि भी करते हैं शिवलिंग का अर्थ मुख्य तया ब्रह्मांड से है जिसका ना तो कोई आदि है और ना ही कोई अंत अर्थात ब्रह्मांड सीमाओं से परे है व इसकी कहीं से भी शुरुआत नहीं होती व ना ही
इसका कहीं अंत होता है अगर हम प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंग के संदर्भ में चर्चा करें तो उन सभी का आकार एक दूसरे से भिन्न है ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अलग-अलग शिवलिंग शिवलिंग बनाए गए हैं कुछ शिवलिंग को स्वास्थ्य के लिए बनाया गया है कुछ को विवाह के लिए व कुछ को ध्यान साधना
के लिए स्थापित किया गया है वायु पुराण के अनुसार प्रलय काल में समस्त सृष्टि जिनमें लीन हो जाती है और पुनः सृष्टि काल में जि से प्रकट होती है उसे लिंग कहते हैं इस प्रकार विश्व की संपूर्ण
ऊर्जा ही लिंग का प्रतीक है पौराणिक दृष्टि से लिंग के मूल में ब्रह्मा मध्य में विष्णु और ऊपर प्रणवा महादेव स्थित हैं केवल लिंग की पूजा करने मात्र से समस्त देवी देवताओं की पूजा हो जाती है लिंग पूजन परमात्मा के प्रमाण स्वरूप सूक्ष्म शरीर का पूजन है शिव और शक्ति का पूर्ण स्वरूप है शिवलिंग.