राम नाम जाप के लाभ: कैसे पाएं शांति और समृद्धि | Benefits of Chanting Ram Name

 राम नाम जाप के लाभ: कैसे पाएं शांति और समृद्धि | Benefits of Chanting Ram Name : 










राम नाम जाप के लाभ कैसे पाएं शांति और समृद्धि  Benefits of Chanting Ram Name








राम नाम जपने के ये हैं लाभ:





 मित्रों, एक व्यक्ति सदैव राम नाम जपता था। धीरे-धीरे वह बहुत बूढ़ा हो गया था, इसीलिए वह एक कमरे में ही रहता था। 


जब भी उसे स्नान आदि के लिए जाना होता तो वह अपने बेटे को बुलाता और उसका बेटा उसे ले जाता। धीरे-धीरे कुछ दिनों के बाद कई बार बुलाने पर भी बेटा कभी आता तो कभी रात को नहीं आता।


 इस दौरान वह गंदे बिस्तर पर रात गुजारता था। अब वृद्धावस्था के कारण उसे कम दिखाई देने लगा था। एक दिन जैसे ही रात को सोने के लिए बुलाया जाता है तो एक लड़का तुरंत आता है और बहुत ही कोमल स्पर्श से उसे बिस्तर पर लिटा देता है। अब यह रोज की दिनचर्या बन गई थी।


 एक रात उसे संदेह होता है। पहले तो बेटे के रात को कई बार बुलाने पर भी वह नहीं आता था, लेकिन जैसे ही वह बुलाता है, अगले ही पल वह आ जाता है और बहुत ही कोमल स्पर्श से उसे निवृत्त कर देता है।



 एक रात वह व्यक्ति उसका हाथ पकड़कर लेट जाता है और पूछता है कि सच बताओ तुम कौन हो? मेरे बेटे, तुम ऐसे नहीं हो।


 तभी अंधेरे कमरे में एक अलौकिक प्रकाश हुआ और उसने एक बालक के रूप में भगवान को देखा। भगवान ने उसे अपना असली रूप दिखाया और कहा, "हे प्रभु, आप स्वयं ही मेरी निवृत्ति का कार्य कर रहे हैं।


 अगर मुझे बस इतना ही माँगना है, तो बस मुझे मोक्ष प्रदान करें।" भगवान कहते हैं, "आप जो भक्त हैं, वह आपका प्रतिबिंब है। आप मेरे सच्चे भक्त हैं। इसीलिए मैं सच्ची साधना के कारण आपका प्रारब्ध स्वयं कटवा रहा हूँ।" व्यक्ति कहता है, "मेरा प्रारब्ध आपकी कृपा से बड़ा है।


 क्या आपकी कृपा मेरे प्रभु? क्या यह आपकी कृपा नहीं है? प्रभु?" भगवान कहते हैं मेरी कृपा ही सर्वोच्च है। निश्चय ही यह आपकी ही शक्ति है। किन्तु फिर अगले जन्म में भक्त को पुनः आना ही पड़ेगा। यही कर्म का नियम है। 


इसीलिए मैं आपकी व्यवस्था में इसे अपने हाथों से कटवाकर इस जन्म-मरण से मुक्ति पाना चाहता हूँ। भगवान कहते हैं व्यवस्था तीन प्रकार की होती है। मेरा नाम जपने से मंत्र कट जाते हैं। किन्तु त्रिमुतम पारद भुक्खण ही पढ़ा जाता है।


 चाहे आप अवतार रूप में आएं किन्तु जो लोग श्रद्धा और भक्ति से मेरा हर समय जाप करते हैं, मैं उनके प्रतिबिम्ब में रहकर स्वयं ही कटवा लेता हूँ तथा उन्हें तीव्रता का आभास नहीं होने देता। पहले मैंने प्रारब्ध बनाया, फिर शरीर बनाया। तुलसी हे प्रभु मैं क्यों चिंता करूँ? श्री रघुवीर का जाप करो। भजन लो श्री रघुवीर जय जय सियाराम जय जय।




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