Sawan Somwar Vrat Katha
हम आपके लिए सावन महीने की भोलेनाथ की एक बहुत सुंदर कहानी लेकर आए हैं एक समय की बात है किसी गांव में एक बुड्ढी अम्मा अपने बेटे के साथ रहती थी मां बेटे बहुत मेहनत
मजदूरी करके अपना गुजारा करते थे एक बार बुड्ढी अम्मा के मन में विचार आया कि अब उसका पुत्र विवाह के योग्य हो गया है अब उसे अपने लिए बहू ले चाहिए कुछ समय बाद बुढी अम्मा ने
अपने बेटे का विवाह एक सुशील कन्या से कर दिया उसकी बहु सुंदर और सुशील संस्कारी थी वह नृत्य प्रति जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर स्नान आदि करती और
भगवान शिव का अपने घर में ही पूजन करती विवाह के कुछ समय बाद सावन का महीना आया बुड्ढी अम्मा की बहू भगवान भोलेनाथ की अनन्य भक्त थी उसके मन में विचार आया कि वह सावन
के महीने में मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें अपने मन में आए विचार को उसने अपनी सास से कहा माता जी सावन का महीना शुरू हो गया है मैं मंदिर जाकर पूजा पाठ करना चाहती हूं ,
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शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहती हूं लेकिन बुड्ढी अम्मा ने उसे मना कर दिया और उससे कहा घर में ही पूजा कर लो मंदिर जाने से समय बर्बाद होगा इतने समय में घर का सारा काम हो जाएगा यह बात सुनकर बहुत उदास हो गई लेकिन
कुछ नहीं कर सकी उदास होकर घर के कार्यों में लग गई उसे दिन उसने अन्य जल कुछ ग्रहण नहीं किया अगले दिन ,
बहू कुएं से जल लाने गई रास्ते में उसने देखा कि गांव की दो लड़कियां पूजा की थाली सजाकर मंदिर की ओर जा रही है उसने उन्हें रोका और पूछा तुम सब कहां जा रही हो और वह बोली
सावन का महीना शुरू हो गया है हम सब भगवान भोले का पूजन करने मंदिर जा रहे हैं यह सुन वह फिर से उदास हो गई लड़कियों ने पूछा आप क्यों उदास हो गई भगवान शिव मेरे आराध्य हैं लेकिन मेरी सास ने मुझे मंदिर जाकर पूजा करने से मना कर दिया आप चिंता मत करो हर रोज इसी समय पानी भरने
आया करो और हमारे साथ मंदिर चलकर भगवान शिव की पूजा कर उन पर जल अर्पित किया करो तब वह बोली लेकिन मेरे पास पूजा की कोई सामग्री नहीं है घर से लाऊंगी तो सास को पता चल जाएगा तब लड़कियां बोली आप हमारी पूजा की सामग्री से पूजन कर लेना यह सुनकर वह
बहुत खुश हुई और रोज उनके साथ मंदिर जाने लगी जहां वह शिवलिंग पर जल चढ़ाती और भक्ति भाव से भोलेनाथ की पूजा करती और वह कहती मैंने अपनी सास से यह बात छुपाई है इसके लिए
मुझे क्षमा कर दीजिए ऐसे ही पूरा सावन का महीना बीत गया सावन के अंतिम दिन उसने सोचा पूरा महीना में इन लड़कियों की सामग्री से पूजा करी है आज तो
मुझे भोलेनाथ को अपना कुछ हर करना ही चाहिए ऐसा कहकर उसने अपनी नाक से यानी सोने की नाथ उतरी और उसे धोकर शिवलिंग पर अर्पित कर दिया और पूजा कर घर आ गई व अपनी
सांस से मुंही छिपकर इधर-उधर घूम रही थी क्योंकि बहुत जानती थी उसके नाक में नाथ ना देखकर सांस जरूर पूछेगी कि नथ कहां गई ऐसे ही दोपहर हो गई तब सांस की नजर उसके
नाक पर गई और नाक में नथ ना देखकर सास ने पूछा बहू तुम्हारी नथ कहां है तब बहू ने बोला मां जी मुझे भी नहीं पता शायद कहीं गिर गई होगी अच्छा तब तुम यह बताओ आज तुम कहां कहां गई थी वही जाकर ढूंढ लेंगे मैं सुबह पानी भरने
गई थी तब तक तो मेरी नाक में नत थी उसके बाद तो मैं उपले थाप में गई थी सांस बोली चलो वहीं चलकर देखते हैं दोनों वहां पहुंचे जहां बहू ने उपले थाप थे सास ने बहू से कहा चलो अब यह उपले तोड़कर देखते हैं दोनों सास और बहू उपले तोड़ने में लग गई जैसे ही दोनों ने अपने-
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अपने उपले तोड़े तो दोनों में एकएक नत निकली सांस बोली नत तो एक ही थी लेकिन यह दो कैसे हो गई इसके बाद सांस ने एक-एक करके सारे उपले तोड़ने शुरू कर दिए अब सांस उपले
तोड़ती जाए और उन सब में से नत निकलती जाए सास ने बहू की ओर देखा और पूछा यह क्या माजरा है तब बहू ने सास से क्षमा मांगते हुए उसे
सारी बात बता दी और कहां और कहां भगवान भन भोलेनाथ का आशीर्वाद है आज मैंने सावन की समाप्ति पर मैंने उन्हें अपनी नत अर्पित की थी और उन्होंने मुझे इतनी सारी नत वापस कर दी
सास बहू की बात सुनकर बहुत खुश हुई और कहा सावन माह में जब तब दान का इतना महत्व है तो अगले साल हम दोनों मिलकर शिवलिंग पर जल चड़ाएंगे और पूजा पाठ करेंगे अगला सावन का माह आने पर,
दोनों सास बहु नियम से सावन का स्नान किया पूजा पाठ जब तब किया भोलेनाथ की कृपा से बुड्ढी अम्मा का घर अन धन के भंडार से हर गया बहू को एक सुंदर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है