Ganesh Ji Aarti :Sukh Karta Dukh Harta
सुख करता दुख हरता वार्ता विघ्नाची
नर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची सर्वांगी
सुंदर उटी सेंदु राची कंठी
झड़ के माल मुक्ता फलांची
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ती
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ति जय देव जय ||
रत्न खित फरा तुज गौरी कुमरा चंदना
च उटी कुमकुम केशरा रे जड़त मुकुट शोभ
तो बरा रुनझुन तीनो पुरे चरणी घागरी
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति दर्शन
मात्रे मन कामना पूर्ति जय देव जय देव
लंबोदर पीतांबर फवर बंध सर सोंड
वक्रतुंड त्री नयना दास रामाचा वाट पाहे
सदना संकटी पावा वे निर्वाणी रक्षा वे सरवर वंदना
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ति जय देव जय देव
ल चढ़ायो अच्छा गजमुख को दो दिल लाल
बिराजे सुत गौरी हर को हाथ लिए गुड लड्डू साई
सरवर को महिमा कहे न जाए लागत हूं पद को
जय जय जी गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारो
दर्शन मेरा मन रमता जय देव जय देव
अष्ट सिद्धि दासी संकट को बैरी वि विनाश
मंगल मूरत अधिकारी कोटी सूरज
प्रकाश ऐसी छवि तेरी
गंड स्थल मद मस्तक झूले शशि बहारी
जय जय जी गणराज विद्या सुखदाता
न्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता जय देव जय देव
भाव भगत से कोई शरणागत आवे
संतत संपत सब ही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मो को अति
भावे गोसावी नंदन निश दिन गुण गावे
जय जय जी गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता
जय देव जय देव
लव थव विक्राला ब्रह्मांड माला
विषय कंठ काला त्रिनेत्र ज्वा लावण्य
सुंदर मस्तकी बाला थुन या
जल निर्मल वाहे झुल सड़ा
जय देव जय देव जय श्री शंकरा
हो स्वामी शंकरा आरती
ओ वालू तु कर्पूर गौरा
जय देव जय देव
कर्पूर गौरा भोला नैनी विशाला
अर्धांगी पार्वती सुमना माला
विभूती से उधन शति कंठ नीड़ा
ऐसा शंकर शोभे उमा बल्हा
जय देव जय देव जय श्री शंकरा
हो स्वामी शंकरा आरती
ओ वाणु तुध परपुर गौरा
जय देव जय देव देवी दती
सागर मंथन पै केले क्या माजी अवचित
हाला हल उठले त्वा सुर पने
प्राशन केले नीलकंठ नाम प्रसिद्ध झाले
जय देव जय देव जय श्री शंकरा हो स्वामी
शंकरा आरती ओ माणु तुध करपुर गौरा
जय देव जय देव जग्या फण व धर सुंदर मदनारी
पंचानन मन मोहन मुनि जन सुख कारी
शत कोटि से बीज वाचे उच्चार
रघुकुल तिलक राम दासा अंतरी
जय देव जय देव जय श्री शंकरा हो स्वामी
शंकरा आरती हो वालू तुज करपुर गौरा
जय देव जय देव
दुर्गे दुर्घट भारी तुज विन संसार
अनाथ नाथे अंबे करुणा विस्तार वारी वा
जन्म मरणा ते वारी हारी
पड़ लो आता संकट नि वारी
जय देवी जय देवी महिषा सुर मथिनी
सुर ईश्वर वरदे तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी
त्रिभुवन भवनी पाहता तु ऐसी
नाही चारी श्रम ले परंतु न बोल वे काही
साही विवाद करता पड़ ले प्रवाही
भक्ता लागी पावस लवला है
जय देवी जय देवी महिषा
सुर मथिनी सरवर ईश्वर मरद
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी
प्रसन्न वजने प्रसन्न होसी निज क्लेशा
पासनी सड़वी तोड़ी भव पाशा अंबे तुज
वाचून कोण पुरवी आशा
नर हरि तल्लीन झाला पद पंकज लेश
जय देवी जय देवी महिषा सुर मथनी
सुर ईश्वर वरदे तारक संजीवनी
जय देवी जय
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